✅ भूमिका: जब प्रकृति थी हमारी पहली दवा
आयुर्वेद (Ayurveda) सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़े जीवन का दर्शन है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वो कौन से आयुर्वेदिक पौधे हैं जो आज हमारे आस-पास नहीं दिखते? हमारे पूर्वजों ने जिन पौधों से बीमारियों का इलाज किया, वे अब हमारी किताबों तक सिमट गए हैं।
आज हम बात करेंगे उन 10 आयुर्वेदिक पौधों की, जो कभी भारतीय चिकित्सा प्रणाली के केंद्र में थे, लेकिन अब लगभग गुम हो चुके हैं।
🌐 हमने क्या खोया है?
जब हम इन आयुर्वेदिक पौधों को भूलते हैं, तो केवल जड़ी-बूटी नहीं खोते—हम ज्ञान, परंपरा और प्रकृति के साथ अपना जुड़ाव भी खोते हैं। ये पौधे सदियों की परंपरा और प्रयोगों से सिद्ध हुए हैं, और आधुनिक जीवन में भी इनका स्थान बन सकता है।
🧘♀️ परिचय: क्या हम आयुर्वेद की जड़ों से कटते जा रहे हैं?
भारत जैसे देश में जहां आयुर्वेद एक जीवनशैली थी, आज हम धीरे-धीरे अपने पारंपरिक ज्ञान और जड़ी-बूटियों को भूलते जा रहे हैं। बहुत सारे ऐसे आयुर्वेदिक पौधे हैं जो कभी हर घर, गांव या जंगल में पाए जाते थे — पर अब उनका नाम भी लोग नहीं जानते। ये पौधे न सिर्फ औषधीय रूप से मूल्यवान हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक संतुलन के लिए भी बेहद फायदेमंद रहे हैं।
आज हम ऐसे ही 5 आयुर्वेदिक पौधों की बात करेंगे जो भले ही पूरी तरह से विलुप्त नहीं हुए हैं, लेकिन आम लोगों की जानकारी से काफी हद तक ‘खो’ चुके हैं।
🌿 1. हड़जोड़ (Cissus quadrangularis) – हड्डियों की मरम्मत के लिए
🩹 उपयोग:
हड़जोड़ की टहनी और पत्तियाँ हड्डी टूटने या फ्रैक्चर की स्थिति में चूर्ण या रस के रूप में दी जाती हैं। यह हड्डियों की सेल रिपेयर को तेज करता है।
☕ कैसे लें:
- इसकी डंडी को धोकर उबाल लें और दिन में दो बार इसका काढ़ा पिएं।
- पत्तियों की सब्जी भी बनती है, जो स्वाद में थोड़ी खट्टी होती है।
✅ शोध: PubMed Study on Bone Healing

🌱 2. पुनर्नवा (Boerhavia diffusa) – लीवर और किडनी के लिए
🧽 उपयोग:
यह लीवर को डिटॉक्स करता है और शरीर से अतिरिक्त जल निकालता है। इसे विशेष रूप से पेशाब की रुकावट, किडनी स्टोन और यूरिक एसिड कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
🥤 कैसे लें:
- पुनर्नवा की जड़ या पत्तियों का काढ़ा बनाकर दिन में 1-2 बार सेवन करें।
- पुनर्नवा अर्क भी बाजार में उपलब्ध है।

🍂 3. पत्थरचूर/पत्थरचट्टा (Bergenia ligulata) – गुर्दे की पथरी के लिए
🪨 उपयोग:
इसका नाम ही “पत्थर चूर” है क्योंकि यह मूत्रनलिका की पथरी को तोड़ने और बाहर निकालने में मदद करता है।
💧 कैसे लें:
- सूखे पत्तों या जड़ों का चूर्ण सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ लें।
- इसे हल्के गुर्दे दर्द में भी उपयोग किया जा सकता है।

🌸 4. कंटकारी (Solanum xanthocarpum) – खांसी और दमा के लिए
😮💨 उपयोग:
कंटकारी कफ और बलगम को साफ करने में मदद करता है। यह फेफड़ों को साफ करता है और सांस की नलिकाओं को खोलता है।
🫖 कैसे लें:
- इसका काढ़ा बनाकर शहद के साथ सेवन करें।
- बच्चों के लिए इसका अर्क हल्की मात्रा में दिया जा सकता है।

🌿 5. कंटकारी (Plumbago zeylanica) – पाचन और मेटाबोलिज़्म के लिए
🔥 उपयोग:
चित्रक पाचन अग्नि को तेज करता है, जिससे कब्ज, गैस, और भूख न लगने की समस्या दूर होती है। इसे वज़न घटाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
☀️ कैसे लें:
- इसकी जड़ का चूर्ण भोजन से पहले लें (लेकिन डॉक्टर की सलाह से, क्योंकि यह गर्म प्रकृति का होता है)।
- पाचन तंत्र कमजोर होने पर इसका क्वथ प्रयोग में लाया जा सकता है।

👨⚕️ सावधानी:
इन सभी औषधीय पौधों को आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में उपयोग करना बेहतर होता है। इनका सही डोज, शरीर प्रकृति (वात, पित्त, कफ), और मौसमी प्रभावों के अनुसार होना चाहिए।
✍️ निष्कर्ष: हमें फिर से जोड़ना होगा अपनी जड़ों से
आयुर्वेद केवल उपचार नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। ये ‘खोए हुए आयुर्वेदिक पौधे’ हमारी विरासत का वह हिस्सा हैं, जिसे पुनः खोजने और अपनाने की आवश्यकता है।
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